SC से झटका लगने के बाद लाल किले पर दावा ठोकने वाली सुल्ताना बेगम बोलीं, ‘मुझे समझ नहीं आता कि…’

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SC on Red Fort Possession: मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फर द्वितीय के प्रपौत्र की विधवा होने का दावा करने वाली सुल्ताना बेगम को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुल्ताना बेगम की उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 मई) को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में लाल किले पर अधिकार की मांग की थी.

अदालत के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए सुल्ताना बेगम ने PTI से कहा, “हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी, जिसे बिना सुने ही खारिज कर दिया गया. हमने हमेशा सरकार से मदद मांगी, लेकिन हमें हमेशा नकारा गया. मुझे समझ नहीं आ रहा कि हमारे साथ इतनी नाइंसाफी क्यों हो रही है.”

गलत धारणा पर आधारित है याचिका- SC
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इस याचिका को “गलत धारणा पर आधारित” और “निराधार” बताते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिका शुरू से ही कानूनी रूप से अव्यवहारिक थी और इसे विचार योग्य नहीं माना जा सकता.

जब सुल्ताना बेगम के वकील ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी तो पीठ ने इसकी भी इजाजत नहीं दी. वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह ज़फर के परिवार से हैं, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अगर आपकी दलीलों को मान लिया जाए, तो फिर केवल लाल किला ही क्यों, आगरा और फतेहपुर सीकरी के किले भी क्यों नहीं?”

दिल्ली HC ने भी खारिज की थी अपील
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 13 दिसंबर 2023 को उनकी अपील खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि याचिका ढाई साल की देरी से दायर की गई, जिसका कोई ठोस कारण नहीं दिया गया. सुल्ताना बेगम ने इस देरी का कारण अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति और बेटी के निधन को बताया था, लेकिन अदालत ने इसे अधूरी जानकारी माना.

दरअसल, 20 दिसंबर 2021 को उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने भी उनकी मूल याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कथित रूप से जब्त किए गए लाल किले पर कब्जा वापस दिलाने की मांग की थी. कोर्ट ने 150 साल से अधिक की देरी को देखते हुए इसे कानूनी रूप से अस्वीकृत कर दिया.

याचिका में कहा गया था कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने बहादुर शाह ज़फर के परिवार को संपत्ति से वंचित कर दिया और सम्राट को देश से निर्वासित कर दिया गया. बेगम का दावा है कि लाल किला उनके पूर्वजों की विरासत है, जिस पर अब भारत सरकार का अवैध कब्जा है.

सुल्ताना बेगम ने केंद्र सरकार से लाल किले को उन्हें सौंपने या फिर मुआवज़ा देने की मांग की थी. लेकिन अदालत ने कानूनी दृष्टिकोण से उनकी अपीलों को समयबद्धता, साक्ष्य की कमी और ऐतिहासिक देरी के आधार पर अस्वीकार कर दिया.

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