UN ने इमरान सरकार को दिखाया आइना, मानवाधिकार को भारत पर अंगुली उठाता रहा है पाक

[google-translator] [responsivevoice_button voice="Hindi Male"]

भारत पर मानवाधिकार पर अंगुली उठाने वाले पाकिस्‍तान के कथनी और करनी का फर्क सामने आया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मंगलवार को पाकिस्‍तान में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ जारी हिंसा पर अपनी चिंता जाहिर की है। पूरी दुनिया के सामने वह एक बार फ‍िर से बेनकाब हुआ है। मानवाधिकार को लेकर पाकिस्‍तान हर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर भारत को बदनाम करने की नापाक कोशिश करता रहा है।

पाकिस्‍तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर जाहिर की चिंता 

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने पाकिस्तानी सरकार से देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर समान रूप से चिंता जाहिर की है। इस बाबत कार्यालय ने इमरान सरकार की कठोर निंदा की है। संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि देश में विचारों की विविधता का सम्‍मान किया जाना चाहिए। इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के संरक्षण के लिए सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

पाकिस्‍तान में महिला पत्रकारों पर ऑनलाइन और ऑफलाइन हमले जारी 

संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मानवाधिकार के प्रवक्‍ता रूपर्ट कोलेविले ने कहा कि पाकिस्‍तान में मानवाधिकार से जुड़े लोगों के खिलाफ हिंसा जारी है। उन्‍होंने कहा कि यह हमला ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीके से जारी है। विशेष रूप से महिलाओं एवं अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ हमले चिंता का बड़ा विषय है। डॉन का उल्‍लेख करते हुए प्रवक्‍ता ने कहा कि पिछले महीने सरकारी नीतियों की निंदा करने वाले कई महिला पत्रकारों को सोशल मीडिया पर हमला किया गया। इतना ही नहीं इन महिला पत्रकारों को चेतावनी भी दी गई। इसके अलावा मह‍िला पत्रकारों को सार्वजनिक रूप से चेतावनी जारी की गई थी। पत्रकारों में से एक और मानवाधिकार के रक्षक मारवी सिरम्द ने सोशल मीडिया पर कई संदेश प्राप्त किए, जिनमें अत्यधिक अपमानजनक और हिंसक भाषा शामिल थी। इसमें लिंग-आधारित भेदभाव और जान से मारने की धमकी शामिल थी।

कम से कम चार पत्रकार और ब्लॉगर मारे गए

कोलविले ने आगे कहा कि 2019 में रिपोर्टिंग के सिलसिले में कम से कम चार पत्रकार और ब्लॉगर मारे गए। उनमें से एक लाहौर में गोली मारकर हत्या करने वाली महिला आरोज इकबाल थी, जिसे उसने अपना स्थानीय अखबार शुरू करने की मांग की थी। 5 सितंबर को पत्रकार शहीना शाहीन को बलूचिस्तान के केच जिले में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्‍या कर दी थी। उन्‍होंने कहा कि अचरज की बात यह है कि इस तरह के मामलों की जांच नहीं की जाती है। ऐसे लोगों पर मुकदमा नहीं किया जाता है। उन्‍होंने कहा कि हमने सीधे सरकार के साथ अपनी चिंताओं को उठाया है। कोलविले ने कहा कि हमने पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल, ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button 

[responsive-slider id=1864]

Related Articles

Close
[avatar]