दिल्ली में धोखेबाज मैनेजर के गिरोह ने बैंक को लगाया 9 करोड़ रुपये का चूना, पुलिस ने किया बड़ा खुलास

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Delhi News: दिल्ली में बैंकिंग इतिहास की एक और चौंकाने वाली धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है. इस बार कहानी किसी बाहरी साइबर ठग की नहीं, बल्कि बैंक के अंदर बैठे ‘भेड़िए’ की है. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक ऐसे गिरोह को बेनकाब किया है, जिसने ICICI बैंक को 9 करोड़ रुपये का चूना लगाया  वो भी बेहद सुनियोजित तरीके से, फर्जी दस्तावेजों और भीतर की मिलीभगत के दम पर.

इस हाई-प्रोफाइल मामले की जड़ें बैंक के क्रेडिट मैनेजर अंशुल आहूजा से शुरू होती हैं, जो अब जेल की सलाखों के पीछे है. अंशुल की मिलीभगत थी हिमांशु रस्तोगी से जो एक पेशेवर चार्टर्ड अकाउंटेंट है और ऋषि छाबड़ा जो एक निजी DSA (डायरेक्ट सेल्स एजेंट) है. तीनों ने मिलकर एक ऐसा नेटवर्क खड़ा किया, जो कम CIBIL स्कोर वाले क्लाइंट्स को ऊंचे लोन दिलवाता था वो भी फर्जी दस्तावेजों के दम पर.

कागज़ पर अमीर,असल में खाली जेब कैसे होती थी धोखाधड़ी
इस गिरोह का तरीका बेहद चतुर था. ऋषि छाबड़ा बाजार में ऐसे लोगों को खोजता जो मोटे लोन चाहते थे पर बैंक के मानदंडों पर खरे नहीं उतरते थे. फिर हिमांशु रस्तोगी उन ग्राहकों के लिए जाली GST रिटर्न, झूठी बैंक स्टेटमेंट्स और बनावटी CA रिपोर्ट तैयार करता. ये सारे कागज़ फिर सीधे बैंक के अंदर बैठे उनके आदमी अंशुल आहूजा  को भेजे जाते, जो बिना ज्यादा पूछताछ किए लोन पास कर देता.

लाखों की ‘कमीशन चेन ईएमआई नहीं सिर्फ  माल काटो
जैसे ही लोन पास होता, रकम क्लाइंट के अकाउंट में जाती लेकिन असल में उसका बड़ा हिस्सा ‘कमीशन’ के नाम पर इन तीनों की जेब में चला जाता. EMI की किसी को परवाह नहीं थी. कुछ ही महीनों में ये सारे लोन NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में बदल गए.

EOW की छापेमारी और गिरफ्तारियां
EOW ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की और 72 फाइलों में फर्जीवाड़ा पकड़ा. दर्ज FIR के तहत मामला दर्ज किया गया. अंशुल पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. ऋषि छाबड़ा और हिमांशु रस्तोगी को 9 मई को गिरफ्तार किया गया, हालांकि दोनों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है.

पुलिस कर रही है आगे की जांच 
पुलिस अब इस गिरोह के अन्य संभावित सदस्यों और इससे जुड़े बैंक कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर रही है. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ऐसे गिरोह देश के अन्य बैंकों में भी सक्रिय हैं.

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